नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सरकारी पोर्टल ई-श्रम पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड उपलब्ध कराने के लिए तीन महीने का और समय दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड देने के लिए व्यापक प्रचार किया जाए ताकि वे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत लाभ उठा सकें.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश याचिकाकर्ताओं अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोक्कर द्वारा दायर एक आवेदन पर आया है, जिन्होंने मांग की थी कि एनएफएसए के तहत राशन कोटे से अलग प्रवासी मजदूरों को राशन दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारें केवल इस आधार पर प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड देने से इनकार नहीं कर सकतीं कि एनएफएसए के तहत जनसंख्या अनुपात सही तरीके से बरकरार नहीं रखा गया है. कोर्ट ने कहा कि हर नागरिक को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए.
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि कल्याणकारी राज्य में लोगों तक पहुंचना सरकार का कर्तव्य है. हम ये नहीं कह रहे हैं कि सरकार अपना कर्तव्य नहीं निभा रही है या फेल हो गई है. इसमें कोई लापरवाही भी नहीं हुई है. फिर भी ये मानते हुए कि कुछ लोग छूट गए हैं, केंद्र और राज्य सरकारों को यह देखना होगा कि उन्हें राशन कार्ड मिले.
इस मामले की सुनवाई जस्टिस एमआर शाह और असानुद्दीन की बेंच कर रही है. शीर्ष अदालत ने कहा कि ये सरकार का काम है कि वो जरूरतमंदों तक पहुंचे. कभी-कभी कल्याणकारी राज्य में कुएं को प्यासे के पास जाना चाहिए. केंद्र सरकार ने बताया है कि 28.86 करोड़ श्रमिकों ने मदद के लिए बने ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है. 24 राज्यों और उनके श्रम विभागों के बीच डेटा शेयरिंग हो रही है. लगभग 20 करोड़ लोग राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थी हैं. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम केंद्र और राज्यों सरकारों द्वारा मिलकर किया गया प्रयास है.