Thursday, May 16, 2024
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उत्तराखंड रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा मामला: ब्लैक मार्केट से खरीदे गए 30 से 50 साल पुराने स्टांप! हुए कई और खुलासे

रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जांच कर रही एसआईटी के सामने अब पुराने स्टांप पेपर के स्रोत पता लगाना चुनौती बना हुआ है। माना जा रहा है कि इस फर्जीवाड़े के लिए 30 से 50 साल पुराने स्टांप पेपर को ब्लैक मार्केट से खरीदा गया है। यह मार्केट दून और सहारनपुर में होने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में यदि पुलिस की जांच सभी दिशा में चली तो इस बड़े घोटाले का भी पर्दाफाश हो सकता है। दरअसल, ज्यादातर रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा 2019 से 2021 के बीच किया गया है। इसके लिए मूल दस्तावेज को नष्ट कर दिया गया और इसके स्थान पर 30 से 50 साल पुराने स्टांप को लगाकर नए कागजात बना दिए गए। पुलिस जांच में अब तक 1970 से 1990 के बीच प्रचलन में रहे स्टांप का इस्तेमाल होना पाया गया है। इनमें से बहुत से स्टांप वास्तव में 50 साल पुराने ही लग रहे हैं। समय के साथ उनके रंग और छपाई में भी अंतर आ गया है। इतने पुराने स्टांप वर्तमान में किसी सामान्य विक्रेता के पास होना बड़ी बात है। ऐसे में इस बात की आशंका को बल मिल रहा है कि देहरादून में ही पुराने स्टांप पेपर की ब्लैक मार्केटिंग करने वाले लोग मौजूद हैं।
सहारनपुर से शुरू हुआ रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा

पुलिस के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इसमें कोई गिरोह सहारनपुर का भी हो सकता है। इसका कारण है कि ज्यादातर दस्तावेज अब तक सहारनपुर के रिकॉर्ड रूम में ही रखे हुए थे। ऐसे में वहीं पर इन पुराने स्टांप की व्यवस्था गिरोह ने कराई होगी। पुलिस जांच में सामने आया है कि अधिकांश रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा सहारनपुर से ही शुरू हुआ था। पुलिस की जांच अब इस ब्लैक मार्केट की ओर भी घूम गई है। इस गिरोह के कुछ सदस्यों को भी पुलिस जल्द गिरफ्तार कर सकती है। अभी तक देहरादून या आसपास के क्षेत्रों में इतने बड़े पैमाने पर पुराने स्टांप के इस्तेमाल के मामले सामने नहीं आए थे। केवल शपथपत्र विशेष बनाने के लिए पुराने स्टांप के इस्तेमाल होने के मामले सामने आते रहे हैं। दरअसल कुछ लोग पुराने स्टांप की चोरी कर इन्हें कोरा ही रख लेते थे। इसके बाद जरूरत के हिसाब से इन्हें सालों बाद बेचा जाता है। इनके लिए कई गुना तक दाम वसूले जाते थे। बताया जा रहा है कि 500 रुपये के स्टांप के लाखों रुपये तक वसूल किए जाते हैं। इस तरह यदि इस मामले का खुलासा हुआ तो यह करोड़ों रुपये का धंधा हो सकता है। पुलिस ने कोर्ट में भी इस बात को बताया है कि पुराने स्टांप को फर्जीवाड़ा कर भी बनाया जा सकता है। ऐसे में विरमानी और अन्य सदस्यों के कंप्यूटर व लैपटॉप की जांच भी की जाएगी। पूछताछ में यह भी सामने आ सकता है कि उन्होंने यह स्टांप कहीं और तो नहीं बनवाए हैं। बता दें कि देश में बहुत से ऐसे मामले आए हैं जिनमें पुराने स्टांप छापे गए हैं। अब्दुल करीम तेलगी इसका सबसे बड़ा उदाहरण माना जाता है।

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