Saturday, July 27, 2024
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उत्तराखंड: करोड़ों के बकायादारों के आगे ऊर्जा निगम मैनेजमेंट नतमस्तक! कार्यवाही के नाम पर सिर्फ गरीब बकायादारों पर ही एक्शन

राजस्व वसूली को लेकर ऊर्जा निगम ने अभियान चला रखा है। बकायादारों की सूची सार्वजनिक हो रही है। कनेक्शन काटे जा रहे हैं लेकिन ये तमाम मशक्कत सिर्फ हजार,दो हजार रुपये के छोटे बकायादारों पर ही ठहर जाती है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या ऊर्जा निगम सिर्फ गरीब बकायादारों के कनेक्शन ही काटेगा? वही उधर करोड़ों के बकायादारों के आगे ऊर्जा निगम मैनेजमेंट नतमस्तक है। स्टील फर्नेश कंपनियों, बिल्डरों, होटल, अस्पतालों पर करोड़ों का बकाया है। यहां कनेक्शन काटने की हिम्मत नहीं दिखाई जा रही है। इस साल ऊर्जा निगम ने राजस्व वसूली का लक्ष्य दस हजार करोड़ के करीब रखा है। 31 मार्च तक ये पूरी वसूली होनी है। हरिद्वार जिले में ही एक स्टील कंपनी पर साढ़े पांच करोड़, दूसरी कंपनी पर चार करोड़ और तीसरी कंपनी पर 6.99 करोड़ का बकाया है। सबसे अधिक किच्छा में एक कंपनी पर 14.79 करोड़ का बकाया है। देहरादून के कई बिल्डरों पर पांच से लेकर दस लाख तक का बकाया है। दूसरी ओर पिछले सत्र में नेहरू कालोनी में योगेंद्र रतूड़ी 1200 रुपये का बिल जमा कराने में एक दिन लेट हो गए। अजबपुर खुर्द में जगतमणि बेलवाल पांच हजार का बिल नही जमा करा पाए, तो तत्काल कनेक्शन काट दिया गया।

कंपनियां नाम बदल कर ले रहीं नया कनेक्शन हरिद्वार, रुड़की, काशीपुर, कोटद्वार, सितारगंज, किच्छा, जसपुर, बाजपुर क्षेत्र में सिर्फ बिजली चोरी ही नहीं हो रही है, बल्कि राजस्व का भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। कंपनियां पहले समय पर बिल नहीं देती। जब बकाया पांच से 20 करोड़ होता है, तो दबाव बनवा कर किश्तों में भुगतान की सुविधा ली जाती है। बाद में कंपनियां कनेक्शन कटवा कर उसी परिसर में कंपनी का नाम बदल कर नया कनेक्शन भी आसानी से लेती है। ऐसा कर कंपनियां करोड़ों के बिजली बिल के साथ जीएसटी से भी ८ अगला लेख छुड़वा रही हैं। सबसे अधिक बिजली चोरी के आरोप भी इन्हीं स्टील फर्नेश कंपनियों पर लगते हैं। खुद 2016 में ऊर्जा निगम के तत्कालीन मुख्य अभियंता हरिद्वार ने अपनी एक गोपनीय रिपोर्ट में बिजली चोरी की पुष्टि की थी। विभागीय मिलीभगत की ओर इशारा किया था। इस रिपोर्ट पर आज तक मैनेजमेंट ने कोई कार्रवाई नहीं की। तत्कालीन सचिव ऊर्जा ने भी छापे मारकर गड़बड़ियां पकड़ी थी। यूपीसीएल के साथ पिटकुल के इंजीनियरों की मिलीभगत पाई गई थी।

 

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