रुड़की. देवभूमि उत्तराखंड के पहाड़ों में आ रही आपदा को लेकर आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक भी चिंतित नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह के इलाकों की चिन्हित किया जा सकता है, जहां आपदा आने की संभावना अधिक रहती है. साथ ही आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर सिविल इंजीनियरिंग को सोचना पड़ेगा, क्योंकि जो इन्फ्रास्ट्रक्चर लखनऊ में बना सकते है वो केदारनाथ में संभव नहीं है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि 2013 जैसी आपदा आती है तो कोई भी इन्फ्रास्ट्रक्चर काम नहीं आएगा. इसलिए हिमालयी और पहाड़ी क्षेत्रों में वहीं के ट्रेडिशनल आर्किटेक्टर को ही ध्यान में रखकर निर्माण किया जाना चाहिए, तभी वहां सस्टेनेबल निर्माण कर सकेत हैं. वहीं आईआईटी के वैज्ञानिक प्रदीप श्रीवास्तव का कहना है कि उत्तराखंड में कई बड़े संस्थान और एजेंसियां हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं किया जाता है. सिर्फ आपदा के समय ही सबको बुलाया जाता है और उस समय सब संस्थान में अपने आप को साबित करने की मची कॉम्पिटिशन में लगे रहते हैं.
ऐसा ही 2021 में एक आपदा हुआ था. उन्होंने कहा सभी को एक साथ बैठकर और मिकलर काम करना चहिए. उसके बाद सरकार को रिपोर्ट प्रेषित करें, ताकि उनकी रिपोर्ट विश्वनीय हो. आगे देखने वाली बात ये होगी कि क्या सराकर आपदा को लेकर गम्भीर नजर आती है या आपदा के बाद हाथ-पैर मारती रहेगी. वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाली आपदा को कोई नहीं रोक सकता है, लेकिन क्षेत्रों को बचाया जा सकता है.