हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम अपने माता-पिता के आज्ञाकारी पुत्र थे।जिन्होंने पिता के कहने पर अपनी माता की गर्दन धड़ से अलग कर दी थी। परशुराम जयंती भगवान विष्णु के छठे अवतार की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह वैशाख मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि परशुराम का जन्म प्रदोष काल के दौरान हुआ था और इसलिए जिस दिन प्रदोष काल के दौरान तृतीया होती है उस दिन को परशुराम जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार परशुराम जयंती 3 मई को मनाई जा रही है ।पौराणिक कथाओं की मानें तो रेणुका के मन में गलत भाव की वजह से ऋषि जंदाग्नि ने ये आज्ञा दी । बड़े भाइयों द्वारा पिता की आज्ञा न मानने के बाद भगवान परशुराम माता रेणुका और ॠषि जमदग्नि की चौथी संतान भगवान परशुराम को एक बार उनके पिता ने आज्ञा दी कि वो अपनी मां का वध कर दे। भगवान परशुराम बेहद आज्ञाकारी पुत्र थे, उन्होंने अपने पिता के आदेशानुसार तुरंत अपनी माँ का सर धड़ से अलग कर दिया।