मसूरी से हुई वैलेंटाइन डे की शुरुआत हुई थी। मसूरी के मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज (Gopal Bhardwaj) बताते है कि मसूरी मर्चेंट द इंडियन लेटर्स पुस्तक में प्रकाशित एक पत्र से स्पष्ट होता है कि देश में वैलेंटाइन की शुरुआत वर्ष 1843 में हुई थी। उन दिनों इंग्लैंड में जन्मे मोगर मांक मसूरी में जॉन मकैनन के बार्लोगंज स्थित स्कूल में लैटिन भाषा के शिक्षक थे, इस दौरान उन्होंने एलिजाबेथ लुईन से प्यार हो गया। मोगर मांक ने 14 फरवरी 1843 को मसूरी से एक खत अपनी बहन मारग्रेट मांक के नाम इंग्लैंड भेजा था।
खत में अपनी भावनाओं का इजहार करते हुए उन्होंने लिखा कि प्रिया बहन आज वैलेंटाइन डे के दिन यह पत्र लिख रहा हूं। मुझे एलिजाबेथ लुईन से प्यार हो गया है मैं उसके साथ बहुत खुश हूं। मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि वर्ष 1849 में जब मोगर मांक का निधन हुआ तब वह मेरठ में रह रहे थे।
वेलेंटाइन डे के दिन लिखे गए उनके इस खत का पता तब चला जब 150 साल बाद मोगर मांक के रिश्तेदार एंड्रयू मोर्गन ने वर्ष 1828 से 1849 के बीच लिखे गए पत्रों का जिक्र मसूरी मर्चेंट इंडियन लेटर्स पुस्तक में किया। देश में पहली बार लिखी गई इस प्रेम पत्र के रिकॉर्ड बुक में दर्ज होने से माना जाता है कि इस दिन से भारत ने वैलेंटाइन डे का आगाज हुआ होगा। भारद्वाज कहते हैं कि यूरोप में वैलेंटाइन डे हजारों साल पहले से मनाया जाता है, लेकिन 1828 से 1849 तक मसूरी सर्वप्रथम वैलेंटाइन डे का जिक्र मोगर मांक ने 14 फरवरी 1843 में अपनी बहन को लिखे पत्र में किया। इससे पहले का ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है जिसमें वैलेंटाइन डे का जिक्र हुआ हो। गोपाल भारद्वाज ने वैलेंटाइन डे मनाने के पीछे के इतिहास को बताते हुए कहा कि रोम में तीसरी सदी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था। गोपाल भारद्वाज ने कहा कि भगवानों स्वयं प्यार की मिसाल दी है भारत और अन्य देशों में भी प्यार को लेकर कई मिसाल कायम की जाती है परंतु वर्तमान परिपेक्ष में प्यार सिर्फ दिखावा हो गया है उन्होंने कहा कि एक फूल देने से प्यार का महत्व नहीं होता है अगर आप किसी से प्यार करते हैं तो उसको जिंदगी में निभाना भी चाहिये।