Saturday, July 27, 2024
No menu items!
Google search engine
- Advertisement -spot_imgspot_img
Homeसंपादकीय20 सालों से लगातार गिर रहा स्वतन्त्र पत्रकारिता का ग्राफ, सरकार,...

20 सालों से लगातार गिर रहा स्वतन्त्र पत्रकारिता का ग्राफ, सरकार, पूंजीपति या खुद पत्रकार है जिम्मेदार

ग्लोबल मीडिया वॉचडॉग, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 2022 विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत की रैंकिंग 180 देशों में से गिरकर 150 हो गई है। पिछले साल की रिपोर्ट में, भारत 142 वें स्थान पर था। उच्चतम प्रेस स्वतंत्रता वाले देशों के लिए शीर्ष तीन पदों पर नॉर्वे की नॉर्डिक तिकड़ी (92.65 का स्कोर), डेनमार्क (90.27) और स्वीडन (88.84) ने लिया। प्रेस स्वतंत्रता सारिणी में भारत का स्थान लगातार गिर रहा है बता दे कि 2002 से अबतक भारतीय-प्रेस 80 वे स्थान से खिसक कर 150 वे स्थान पर पहुंच गई है, जिसके लिए भारत की सरकारे सीधे तौर पर जिम्मेदार है।
यही नहीं आलम यह है कि आज भारतीय मीडिया दो धड़ो में बंट गया है, जिसमे से एक सरकार के विरोध में खड़ा है तो दूसरा सरकार के साथ खड़ा है। दोनों ने ही एक दूसरे को अलग- अलग नामों से पुकारना भी शुरू कर दिया है। पत्रकारिता के विधार्थियों को बताया जाता है कि अखबार का संपादकीय पृष्ठ समाचार-पत्र की आत्मा होती है जिसे पढ़कर अख़बार की गहराई और विचारधारा का पता चलता है पर वर्तमान परिस्थिति में पत्रकारों पर ही टैग लगा दिया गया है। यही नहीं कौन सा अखबार किस पार्टी का झंडा लहराता है ये तक लोगों को पता है पोस्ट इन्फोर्मेशन सोसाइटी में सूचना का सम्प्रेषण इतना है कि मानो हर व्यक्ति खुद को महा ज्ञानी समझने लगा है। जिसकी जिम्मेदार सूचनाओं का विस्फोट करने वाली सोशल साइट्स के साथ इस देश का वो पत्रकार और चैनल भी है, जो अपनी विचारधारा लोगों पर थोप ही नहीं रहा बल्कि एक पक्ष के प्रति नफरत भी भर रहा है। ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि देश की सरकारे और मीडिया चलाने वाले पूंजीपति पत्रकारों के काम में कम से कम दखल दें। वहीं पत्रकारों को मतभेद और मनभेद में फर्क समझने का प्रयास करने का प्रयास करना पड़ेगा अन्यथा लाजमी है कि 180 देशो की सूची में भारत का मुकाबला चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से ही रहा जाए।

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

ताजा खबरें