Saturday, July 27, 2024
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केदारनाथ गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत विवाद को लेकर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने दिया बड़ा बयान

श्रीनगर(उत्तराखंड): केदारनाथ गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मामले में तीर्थ पुरोहितों और कांग्रेस के बाज अब ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है. अविमुक्तेश्वरानंद ने केदारनाथ गर्भगृह के वायरल हो रहे वीडियो पर तल्ख टिप्पणी की. केदारनाथ में गर्भगृह मामले में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने जांच की मांग की है.शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद आज श्रीनगर पहुंचे. यहां उनका भव्य स्वगात किया गया है. इस दौरान बड़ी संख्या में साधु संतों ने शंकराचार्य से मुलाक़ात की. इस दौरान स्थानीय लोगों ने भी शंकराचार्य का आशीर्वाद लिया. इस दौरान शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बीकेटीसी केदारनाथ में सभी व्यवस्थाओं को देखती है. उन्हीं की देखरेख में केदारनाथ के गर्भगृह को स्वर्ण जड़ित किया गया,

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा क्या दानदाता ने नकली सोना केदारनाथ को अर्पित किया था, जो आज इसकी धातु में ही बदलाव होने लगे है. अगर नकली धातु दी गयी तो ये भगवान का भी अपमान है. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा इस पूरे मामले की हाई लेवल जांच जानी होनी चाहिए. उन्होंने कहा भगवान केदारनाथ पर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था है. केदारनाथ में हो रही इस तरह की घटनाओं से प्रदेश की छवि भी धूमिल हो रही है.

हाईकोर्ट के सीटिंग जज की निगरानी में हो जांच: वहीं, इस मामले में कांग्रेस ने भी हल्ला बोला है. कांग्रेस ने आज एश्ले हॉल चौक पर भाजपा का पुतला दहन किया. इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस मामले की जांच हाईकोर्ट के सीटिंग जज से कराए जाने की मांग की. प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस महानगर अध्यक्ष जसविंदर गोगी ने कहा भाजपा हिंदुत्व का ढोल पीटती है, और हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ करते रहती है. उन्होंने कहा द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित के जाने का प्रचार किया गया, लेकिन अब पता चला है कि गर्भ गृह की दीवारों में पीतल का काम किया गया है.

उन्होंने कहा करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र रहे केदारनाथ धाम में इस कार्य को लेकर पहले से ही विवाद रहा है, इससे पहले अनेकों तीर्थ पुरोहितों ने गर्भ गृह के पुराने स्वरूप के साथ छेड़छाड़ का भी विरोध किया था, जिसे सरकार ने किसी तरह से शांत करा दिया था. उन्होंने सरकार से इस पूरे मामले की जांच हाईकोर्ट के सीटिंग जज की निगरानी में करवाने की मांग की.

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