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उत्तराखंड में भर्ती घोटाले में भाजपा के करीबी पर गहराया अंदेशा, हाकम सिंह को बताया जा रहा है मास्टरमाइंड

उत्तराखंड में इन दिनों एक घोटाले की वजह से हलचलें तेज़ हैं. रोज़गार के लिए नौजवानों के पलायन की चुनौती के बीच राज्य में एक बार फिर सरकारी नौकरियों में भर्ती के एक कथित घोटाले की जांच चल रही है. दिसंबर 2021 में हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक होने की शिकायत की जांच एसटीएफ़ कर रही है जिसने अब तक 22 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है. इनमें राजनेता, पुलिसकर्मी, सचिवालय कर्मचारी, आउटसोर्सिंग कंपनी का कर्मचारी, परीक्षार्थी, कोर्ट कर्मचारी और कोचिंग सेंटर से जुड़े लोग भी शामिल हैं.

इस बार यह मामला राजनीतिक भी है क्योंकि जिस शख़्स हाकम सिंह को कथित घोटाले का मास्टरमाइंड कहा जा रहा है उनके बारे में बताया जा रहा है कि वह बीजेपी नेता हैं और उनके पार्टी के कई नेताओं से नज़दीकी संबंध हैं. बीजेपी ने इस ‘मास्टरमाइंड’ को पार्टी से निकाल दिया है. इस केस को लेकर लगातार हमलावर हरीश रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से मुलाकात की और अपना प्रस्तावित उपवास टाल दिया है.

वहीं, प्रदेश के पुलिस महानिदेशक की हाकम सिंह के साथ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उत्तराखंड पुलिस को एक ख़ास संदेश जारी करना पड़ा. अब इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय या ईडी की भी एंट्री हो गई है.

परीक्षा और जांच
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) ने विभिन्न विभागों के 916 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की और दो लाख 16 हज़ार युवाओं को परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड जारी किए गए. इनमें से एक लाख 60 हज़ार अभ्यर्थियों ने 4-5 दिसंबर, 2021 को आयोजित परीक्षा दी. इसके परिणाम 8 अप्रैल, 2022 को जारी कर दिए गए और इसके साथ ही परीक्षा में धांधली की शिकायतें भी आने लगीं.

बेरोज़गारों ने कई जगह प्रदर्शन किए और परीक्षा की न्यायिक जांच की मांग की. उत्तराखंड बेरोज़गार संघ इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से भी मिला और उनके निर्देश पर 22 जुलाई को देहरादून के रायपुर थाने में केस दर्ज कर जांच एसटीएफ़ को सौंप दी गई.

इनमें लखनऊ स्थित प्रिंटिंग प्रेस का प्रोग्रामर और एक अन्य कर्मचारी, UKSSSC रायपुर देहरादून में पहले कार्यरत रहा पीआरडी कर्मचारी, देहरादून के एक कोचिंग सेंटर से जुड़ा व्यक्ति, ऊधम सिंह नगर के सितारगंज न्यायालय का एक कनिष्ठ सहायक, इसी तरह नैनीताल और रामनगर न्यायालय में तैनात एक-एक कनिष्ठ सहायक, देहरादून के सेलाकुई में स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी के दो संविदा कर्मचारी, सचिवालय में तैनात दो अपर निजी सचिव, ऊधम सिंह नगर में तैनात एक पुलिस कॉंस्टेबल, उत्तरकाशी के एक राजकीय इंटर कॉलेज में तैनात शिक्षक और उत्तरकाशी का जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह रावत शामिल है.

हाकम सिंह रावत को इस पेपर लीक मामले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. हालांकि एसटीएफ़ के एसएसपी अजय सिंह ने कहा कि वह हाकम सिंह को ऑर्गेनाइज़र कहना पसंद करेंगे. वह व्यक्ति जो इस सबके केंद्र में था और सबसे जुड़ा हुआ था लेकिन मास्टरमाइंड नहीं.

एसएसपी अजय सिंह ने कहा कि मास्टरमाइंड की तलाश अभी जारी है. उन्होंने यह भी कहा कि हाकम सिंह से बड़े कुछ लोगों पर नज़र है हालांकि इस स्तर पर कुछ बताया नहीं जा सकता.

इस मामले में अब ईडी की एंट्री भी हो गई है. एसटीएफ़ ने इस मामले में नकदी की बरामदगी और पेपर लीक से कमाई गए पैसे से गाड़ी-प्रॉपर्टी की खरीद-फ़रोखेत की आशंका को देखते हुए ईडी को पत्र लिखकर जानकारी साझा की है.

एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि अब तक इस मामले में 83 लाख रुपये नकद बरामद किए जा चुके हैं. इसके अलावा यह भी आशंका है कि पेपर लीक कर कमाए गए पैसे से गाड़ियां और प्रॉपर्टी खरीदी गई हो. ऐसे मामलों में ईडी को सूचित किया जाता है. अगर एजेंसी जांच करना चाहे तो कर सकती है.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी बताया कि 50 परीक्षार्थी संदेह के दायरे में हैं और जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे चीज़ें साफ़ होंगी.

बता दें कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) का गठन सितंबर, 2014 में किया गया था. आयोग राज्य के विभिन्न विभागों में खण्ड-3 के अन्तर्गत आने वाले समूह-ग की भर्ती और लोक सेवा आयोग की परधि से बाहर आने वाले पदों के लिए भर्ती करता है.

गठन के बाद से अब तक आयोग 88 परीक्षाएं आयोजित करवा चुका है. इनमें से 5 परीक्षाओं में गड़बड़ियों की आशंकाओं पर आयोग की ओर से पुलिस को शिकायत की गई जिसमें यह ताज़ा पेपर लीक का मामला शामिल है.

पेपर लीक मामले की जांच एसटीएफ़ कर रही है लेकिन पिछले किसी भी मामले में जांच पूरी नहीं हुई है.

इसके अलावा एक अन्य परीक्षा में ब्लूटूथ से नकल कराने की शिकायतें सामने आने के बाद पुलिस ने खुद जांच शुरू की थी लेकिन सभी आरोपी कोर्ट से बरी हो गए थे.

आयोग के पहले अध्यक्ष आरबीएस रावत थे. 2016 में बीडीओ (ग्राम विकास अधिकारी) परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगने के बाद उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा था.

मौजूदा स्नातक स्तरीय परीक्षा का पेपर लीक होने के आरोपों के बाद निवर्तमान आयोग अध्यक्ष एस राजू को भी कार्यकाल पूरा होने से दो महीने पहले ही इस्तीफ़ा देना पड़ा.

आयोग के सचिव रहे संतोष बडोनी की प्रतिनियुक्ति भी समाप्त होने वाली थी लेकिन 13 अगस्त को सरकार ने उन्हें भी पद से हटा दिया. उनकी जगह सुरेंद्र रावत को आयोग का नया सचिव बनाया गया जिन्होंने 16 अगस्त को कार्यभार संभाल लिया.

5 अगस्त को इस्तीफ़ा देने के बाद एस राजू ने कई सनसनीखेज दावे किए थे. उन्होंने कहा कि आयोग पर नकल माफ़िया और राजनीतिक दबाव रहता है. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह कभी दबाव में नहीं आए.

राजू ने कहा कि अगर चार मामलों में आयोग ने पुलिस को शिकायत दर्ज करवाई थी लेकिन किसी की भी जांच पूरी नहीं हो सकी. अगर पुलिस ठीक से कार्रवाई करती तो नकल माफ़िया का हौसला नहीं बढ़ता और आयोग की परीक्षाओं में गड़बड़ियों को रोका जा सकता था.

राजू की बात को आयोग के तत्कालीन सचिव संतोष बडोनी ने भी सही ठहराया था. उनका कहा था कि आयोग ने खुद पहल कर मामले दर्ज करवाए थे लेकिन किसी भी मामले में दोषी को सज़ा नहीं हुई. ऐसा होता तो स्थितियां बेहतर होतीं.

बडोनी का यह भी कहना था कि ऑनलाइन परीक्षा करवाने की आयोग की कोशिशों को नकल माफ़िया के दबाव में ही सफल नहीं होने दिया गया. वह कहते हैं कि अगर ऑनलाइन परीक्षाएं हों तो नकल माफ़िया पर बहुत हद तक लगाम लग सकती है और यह ज़रूरी है.

इस्तीफ़ा देने से पहले ही एस राजू ने एक सख्त नकल विरोधी कानून का एक प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेज दिया था. उनका दावा था कि इससे नकल माफ़िया पर नकेल कसेगी और परीक्षाएं ज़्यादा पारदर्शी तरीके से करवाई जा सकेंगीं.

उत्तराखंड बेरोज़गार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार आयोग के पूर्व अध्यक्ष एस राजू और पूर्व सचिव संतोष बडोनी के दावों को खारिज करते हैं.

वह कहते हैं कि परीक्षाओं में धांधली की सूचना बहुत पहले से मिलने लगी थीं लेकिन आयोग का रवैया, ‘कुछ नहीं हुआ, सब सही है’ वाला ही रहा.

परीक्षार्थियों की शिकायतों को आयोग खारिज करता रहा और उसने एफ़आईआर भी तब दर्ज करवाई हैं जब बेरोज़गारों के सड़क पर उतरने के बाद दबाव बन गया.

वह कहते हैं कि बेरोज़गार संघ लगातार पेपर लीक की शिकायत कर रहा था और इसके सबूत दिखा रहा था लेकिन आयोग उत्तीर्ण हो चुके परीक्षार्थियों के दस्तावेज़ों का सत्यापन कर रहा था. जब चयन प्रक्रिया पर ही संदेह है तो दस्तावेज़ों का सत्यापन कर मामले को और उलझाने की कोशिश की जा रही थी.

बता दें कि 2018 के मार्च में सरकारी नौकरियों में भर्तियां शुरू करने की मांग को लेकर उत्तराखंड बेरोज़गार संघ बनाया गया था. इसके बाद से यह संघ भर्तियों में धांधलियों को उजागर करने में जुटा हुआ है.

इसके अध्यक्ष 25 वर्षीय बॉबी पंवार अब सरकारी नौकरी की तैयारी नहीं करते, वह अब रोज़गार के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उनका कहना है कि या तो वह तैयारी कर सकते थे या युवाओं के अधिकारों के लिए काम. ठीक है कि उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी लेकिन बहुत से असली परीक्षार्थियों को न्याय तो मिलेगा.

हाकम बीजेपी के सक्रिय सदस्य रहे हैं और राज्य के एक पूर्व मुख्यमंत्री का नज़दीकी बताया जा रहा है. उसके फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल में उसकी तस्वीरें अन्य कई बीजेपी नेताओं के अलावा मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ भी हैं.

हालांकि इस मामले के सामने आने के बाद 14 अगस्त को भाजपा ने हाकम सिंह रावत को पार्टी से निष्कासित कर दिया.

हाकम सिंह के रिसॉर्ट पर डीजीपी अशोक कुमार की भी तस्वीरें हैं जिनमें वो डीजीपी के साथ नज़र आते हैं. ये तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर जमकर शेयर की जा रही हैं.

इसका परिणाम यह हुआ कि 17 अगस्त को उत्तराखंड पुलिस के फ़ेसबुक अकाउंट पर डीजीपी की तस्वीर के साथ एक मैसेज जारी किया गया. मैसेज को देखकर लगता है कि यह डीजीपी की ओर से है (देखें तस्वीर). इसमें अन्य बातों के अलावा यह भी लिखा है कि किसी के साथ फ़ोटो खिंचवाने से कोई अपराधी बच नहीं सकता.

हरीश के अनुसार स्थानीय लोग बताते हैं कि कभी एक आईएएस के घर खाना बनाने का काम करने वाले हाकम सिंह रावत अकूत संपत्ति के मालिक बन गए हैं.

उत्तरकाशी के सीमांत ब्लॉक मोरी के सांकरी में हाकम का एक आलीशान रिसॉर्ट है, जिसकी कीमत करोड़ों में बताई जा रही है. वहाँ नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता है.

हाकम सिंह रावत जौनसारी गीतों की एलबम में भी नज़र आ चुके हैं जिसमें वह डांस करते दिखते हैं. ये वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल है.

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव हरीश सिंह रावत इस मामले को लेकर लगातार बीजेपी पर हमलावर हैं. उन्होंने इस मामले की तुलना पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले से कर दी. इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना देने का भी ऐलान किया.

इसके बाद पत्रकारों के साथ बातचीत में रावत ने कहा कि इस मामले में अब तक की एसटीएफ़ की कार्रवाई से साफ़ हो गया है कि इस केस में भाजपा के नेता और भाजपा के तंत्र की संलिप्तता करीब-करीब सिद्ध हो चुकी है. हाकम सिंह अपने साथ भाजपा को लपेट चुका है.

उन्होंने कहा कि अब तक जो साक्ष्य आए हैं उससे साबित हो गया है कि हाकम सिंह इस तंत्र का एक पुर्ज़ा है और इस पुर्जे का संचालन कुछ और बड़े लोगों कर रहे थे. कुछ लोग अभी पीछे हैं.

हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मामले में शुरू से ही कह रहे हैं किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने यह भी कहा है कि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा और अगर आवश्यकता पड़ी तो लोक सेवा आयोग या अन्य किसी आयोग के सहयोग से परीक्षाएं आयोजित करवाई जाएंगी.

मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर यूकेएसएसएससी परीक्षा धांधली की जांच कर रही एसटीएफ की टीम को सम्मानित भी किया. एसटीफ के एसएसपी अजय सिंह, उप निरीक्षक दिलवर सिंह, नरोत्तम बिष्ट, उमेश कुमार और विपिन बहुगुणा को मुख्यमंत्री सराहनीय सेवा पदक प्रदान किया गया.

इधर अभी तक इस पर कोई फ़ैसला नहीं हुआ है कि परीक्षा को रद्द किया जाएगा या कोई और रास्ता निकाला जाएगा. UKSSSC में नए सचिव ने तो पदभार ग्रहण कर लिया है लेकिन परीक्षा नियंत्रक ने नहीं. उनके पद ग्रहण करने के बाद ही इस पर कोई फ़ैसला लिया जा सकेगा.

भर्ती में भ्रष्टाचार के दूसरे मामले

इस परीक्षा की जांच के दौरान गिरफ़्तार अभियुक्तों से पूछताछ में पुलिस को संकेत मिले के सचिवालय रक्षक और कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशियरी) के परीक्षाओं में भी धांधली हुई थी. इसके बाद डीजीपी अशोक कुमार, ने पहले आयोजित सचिवालय रक्षक और कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशियरी) परीक्षाओं की जांच भी एसटीएफ को सौंप दी है.

इसके अलावा एसटीएफ़ को एक मामले को फिर से खोलने को कहा गया है. दरअसल साल 2020 में उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा वन आरक्षी (फॉरेस्ट गार्ड) परीक्षा में ब्लूटूथ के ज़रिए नकल करने की ख़बर मिलने पर पुलिस ने खुद ही केस दर्ज कर जाँच की थी और एक गिरोह को पकड़ा था. इस संबंध में हरिद्वार और पौड़ी गढ़वाल में केस दर्ज हैं.

बाद में इस मामले में हाईकोर्ट में वादी और आरोपियों के बीच समझौता हो गया था और मामला निस्तारित कर दिया गया था. डीजीपी ने एसटीएफ़ को इन केसों की भी दोबारा जांच करने के निर्देश दिए हैं.

उत्तराखंड पुलिस के समक्ष एक मामला लोक सेवा आयोग द्वारा 2018 में लेक्चरर भर्ती परीक्षा का भी आया है. दरअसल सोशल मीडिया में वायरल हो रही एक ऑडियो क्लिप में एक युवती ने उत्तराखंड लोकसेवा आयोग के एक पूर्व सदस्य पर पैसे मांगने और यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं.

इसके बाद उक्त युवती ने इस मामले को लेकर देहरादून के एसएसपी को शिकायत भी की. इसी मामले में भाकपा (माले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक और राज्य महिला आयोग को भी शिकायत की है. डीजीपी ने देहरादून एसएशपी को इस मामले की जांच करने के निर्देश दिए हैं.

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