दो देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे हुए उत्तराखंड में ढांचागत सुविधाओं की स्थिति चिंतित करने वाली है। पिछले माह दो बार उत्तराखंड का दौरा कर चुके प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया है। जिससे प्रदेश के ढांचागत विकास को मजबूत करने में मदद मिलेगी, परंतु सबसे बड़ी चुनौती इन परियोजनाओं को लेकर इनके रखरखाव और इनके क्रियान्वयन की है। मूलभूत जरूरतों में सबसे पहले क्षेत्रों को आपस में जोड़ने वाले सड़क मार्गों की है। सड़क मार्गों के रखरखाव की स्थिति बहुत ही दयनीय है। बारिश हो या बर्फबारी राजमार्ग तो साफ कर दिए जाते हैं, परंतु जो दूरस्थ क्षेत्र और सीमावर्ती क्षेत्र हैं उन को आपस में जोड़ने वाले संपर्क मार्गों का कोई भी सुध लेवा नहीं है। सीमावर्ती क्षेत्रों में मोबाइल टावर और मोबाइल सिगनलों का ना होना भी ढांचागत विकास में रोड़ा बना हुआ है।अधिकांश सीमावर्ती क्षेत्रों में मोबाइल सिग्नल नहीं है और जहां यह सिग्नल है वहां लचर नेटवर्क से आम उपभोक्ता परेशान है। 4G के सिग्नलों के बजाय 2G के सिग्नल यहां पर मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा दिए जा रहे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां राज्य में बड़े-बड़े वादे जनता के साथ करेंगी। देखना है कि कौन अपने वादों पर खरा उतरता है, और आम जनमानस की रोजमर्रा से जुड़ी हुई समस्याओं को हल कर सकने में सफल होता है।