मसूरी। तिब्बत राष्ट्र विद्रोह दिवस की 64वीं वर्षगांठ पर मसूरी में तिब्बतन महिला एसोसिएशन और मसूरी तिब्बती समुदाय समिति ने संयुक्त रूप से चीन के खिलाफ मसूरी हैप्पी वैली से गांधी चौक तक रैली निकाली। रैली में तिब्बती समुदाय के लोगों ने तिब्बत की वर्तमान स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए चीन की नीतियों पर रोष जताया। रविवार को विरोध रैली के दौरान तिब्बतन महिला एसोसिएाशन के पदाधिकारियों ने कहा कि चीन अधिकृत तिब्बत के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। इससे तिब्बत में लोगों का जीवन दूभर हो रहा है। तिब्बती समुदाय के लोगों की दयनीय स्थिति दुनिया के सामने न आए इसलिए चीन सरकार ने चीन अधिकृत तिब्बत में पर्यटकों और किसी भी तरह की मीडिया का वहां जाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। विरोध रैली में छात्र-छात्राओं और तिब्बत समुदाय से तिब्बत की संस्कृति को बचाए रखने की अपील की। उन्होने कहा कि 12 मार्च 1959 को तिब्बती महिलाओं ने चीन खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया था। जिसके बाद यह सिलसिला लगातार जारी है। हर साल 10 मार्च को क्रांति दिवस भी मनाया जाता है। तिब्बती महिलाओं ने संयुक्त राष्ट्र से मांग की है कि वह दलाई लामा के प्रतिनिधियों को चीन से रिहा करने के संबंध में वार्ता करें। उन्होंने कहा कि 1959 में चीनियों के जबरन तिब्बत पर कब्जे के विरोध में यह दिवस मनाया जाता है। उस समय तिब्बत की महिला समूहों ने काफी मुखर होकर चीन की हरकत का विरोध किया था। नतीजतन सैकड़ों नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। तिब्बती नागरिक हमेशा शांतिपूर्ण विरोध को ही अहमियत देते आए हैं। आज भी कई तिब्बती चीन की कैद में हैं। उन्हें सोचने और जीवन बिताने की आजादी नहीं है।तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मसला विश्व मंच पर उनके धार्मिक गुरु दलाई लामा निरंतर उठाते रहे हैं। लंबे समय से अपने देश से दूर तिब्बत की नई पीढ़ी के सामने अपने सामाजिक परिवेश और संस्कृति को बचाने की बड़ी चुनौती है